BA Semester-1 Hindi Kavya - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2639
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य

अध्याय - 30 
नागार्जुन

(व्याख्या भाग)

अकाल और उसके बाद

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त।

दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद
चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद
कौए के खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद।

सन्दर्भ - प्रस्तुत कवितांश आधुनिक हिन्दी कवि, कविता के कबीर और सामान्य जन के कवि बाबा नागार्जुन द्वारा रचित कविता 'अकाल और उसके बाद से लिया गया है।

प्रसंग - कवि ने इस कविता में अकाल और उसके बाद के समय की स्थितियों का अत्यंत सूक्ष्म चित्रण किया है। घर पर अनाज न होने पर क्या स्थिति थी और अनाज आने पर क्या स्थिति हुई इसका कवि ने मानवेतर पात्रों के माध्यम से चित्रण किया है।

व्याख्या - अकाल के दिनों में हालत यह थी कि घर के प्राणियों अर्थात् नर-नारियों और बच्चों की बात छोड़िए, चूल्हा तथा चक्की तक उदास रहे। भाव यह कि अकाल के दिनों में इतना आटा भी मौजूद नहीं था कि चक्की को पीसने के लिए कुछ मिल सके। मानी चूल्हा रोता रहा और चक्की उदास जिंदगी किसी न किसी तरह फटती रही। घर की कानी कुतिया भी चूल्हे के पास सोती रही। शायद कोई ऐसा दिन आता कि घर में रोटी बनती और उसे भी एक टुकड़ा हासिल हो जाता। घर के वातावरण में एक तरह से मुर्दनी का आलम था। घर में कीड़े-मकौड़े तक मौजूद नहीं थे, लिहाजा छिपकलियाँ दीवारों पर खूब मौज-मस्ती लेती रहीं। जैसे वह घर की पहरेदारी कर रही थीं। अकाल के दिनों में अन्न और खाद्य सामग्री का इतना अभाव था कि बेचारे चूहे तक कई दिनों तक हार की स्थिति में दिखाई दिए।

मगर अकाल के बाद घर में अनाज आया। घर का पूरा वातावरण उल्लासमय हो उठा। कई दिनों बाद जब घर में अनाज आया तो फिर चूल्हा जला। उससे धुआं उठता दिखाई दिया। चूल्हा जला तो घर के सभी लोगों की आँखों में चमक आ गयी। सब खुश थे कि आज कुछ खाने को मिलेगा। चूल्हा जलता देखकर सिर्फ घर के लोग ही खुशी न थे, वह खुशी कौवें में भी देखी जा सकती थी। वह भी अपने पंख -खुजलाकर अपना उल्लास जता रहा था कि अब घर में कुछ बनेगा और उसे भी मिलेगा।

विशेष- (i) देश के दुर्भिक्ष और अकाल का चित्रण मानवेतर पात्रों के माध्यम से किया है।
(ii) बाबा की यह खासियत है, कि देखने में अनगढ़, अटपटी और अर्थहीन दिखने वाली भाषा में बिंब रचना कर वे ऐसे भाव अंकित कर जाते हैं, जो न तो चौकाते हैं, न तो उसमें कोई चमत्कार दिखता है, लेकिन अर्थवहन करने में वे अद्भुत रूप से सूक्ष्म होते हैं।
(iii) पहली चार पंक्तियों में 'कई दिनों तक और चार पंक्तियों में 'कई दिनों बाद' वाक्य खण्ड के प्रयोग द्वारा उल्लासहीनता और उल्लासमयता का जो वातावरण प्रस्तुत किया है, वह अत्यंत प्रभावशाली है।
(iv) 'कई दिनों तक चूल्हा रोया चक्की रही उदास में मानवीकरण का प्रयोग है। पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। भाषा जनवादी है. अभिव्यंजनाएँ प्रभावशाली हैं।

बादल को घिरते देखा है

(1)
तुंग हिमालय के कंधों पर
छोटी बडी कई झीलें हैं,
उनके श्याम नील सलिल में
समतल देशों से आ-आकर
पावस की ऊमस से आकुल
तिक्त-मधुर बिसतंतु खोजते
हंसों को तिरते देखा है।
बादल को घिरते देखा है।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसङ्ग - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि नागार्जुन ने ऊँचे हिमालय पर्वत में स्थित झीलों में तैरते हुए सुन्दर हंसों का मनोहारी चित्र खींचा है।

व्याख्या - नागार्जुन 'बादल को घिरते देखा है' कविता के इस अंश में हिमालय की ऊँची श्रृंखला में स्थित झीलों में तैरते हंसों का वर्णन करते हुए कहते हैं कि हिमालय की ऊँची-ऊँची चोटियों में अनेक झीलें स्थित हैं। इन झीलों में श्यामल नील जल भरा हुआ है। इस नीले जल की स्वच्छंता अत्यन्त स्पष्ट झलक रही है। इन झीलों में ग्रीष्म ऋतु में समतल अर्थात् मैदानी क्षेत्रों से वर्षा की उमस से व्याकुल होकर शीतलता प्राप्ति के निमित्त उड़कर आये हंस तैर रहे हैं। ये हंस हिमालय की स्वच्छ झीलों में तैर तैर कर कमलनाल को (कमल के डंठल के मध्य भाग) खाने के लिए खोजते फिर रहे हैं। ऐसे सुन्दर हंसों को कवि हिमालय की झीलों पर तैरते हुए देख रहा है साथ ही हिमालय में बादल भी घिरे हुए हैं। यह अद्वितीय सौन्दर्य कवि की प्राकृतिक सौन्दर्य क्षमता का बोध कराता है।

विशेष - रस - श्रृंगार, छन्द - गेय, भाषा - खड़ी बोली, अलंकार - रूपक, उपमा, काव्यगुण - माधुर्य, शब्दशक्ति - अभिधा।

(2)
दुर्गम बर्फानी घाटी में
शत-सहत्र फुट ऊँचाई पर
अलख नाभि से उठने वाले
निज के ही उन्मादक परिमल
के पीछे धावति हो - होकर
तरल तरुण कस्तूरी मृग को
अपने पर चिढ़ते देखा है,
बादल को घिरते देखा है।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसङ्ग - प्रस्तुत काव्य पंक्तियों मे कवि ने हिमालय की बर्फीली घाटियों में कस्तूरी मृग के दौड़ने का मोहक चित्र प्रस्तुत किया है।

व्याख्या - कवि ने इस कविता की इन पंक्तियों में हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों में स्थिति बर्फीली घाटियों में हिरन के दौड़ने का चित्रण करते हुए कहा है कि हिमालय पर्वत की ऊँची-ऊँची चोटियाँ तथा दुर्गम गहरी बर्फ से ओत-प्रोत घाटियों में हिरण विचरण कर रहे हैं, उन हिरणों में एक कस्तूरी धारण करने वाला मृग है। जिस मृग (हिरन) की नाभि में कस्तूरी का वास होता है वह मृग उस सुगन्ध को अपने आस-पास होने का अनुमान करके उसको प्राप्त करने के लिए भागा भागा घूमा करता है किन्तु अज्ञानता के वशीभूत वह अपने में कस्तूरी होने का ज्ञान नहीं कर पाता। ऐसे कस्तूरी मृग को जिसकी अलक्ष्य नाभि से (मृग के अपने ही अंग से) उन्माद उत्पन्न करने वाली सुगन्ध उत्पन्न हो जाती है, उस गन्ध की प्राप्ति के लिए वह मृग निरर्थक भाग-दौड़ करता रहता है तथा जब उसे कस्तूरी नहीं मिलती तो वह अपने ऊपर ही खींझता है। ऐसे खींझे हुए हिरन का दृश्य हिमालय पर कवि को दिखायी देता है साथ ही साथ कवि उस हिमालय पर बादलों का घिरना भी देख रहा है।

विशेष - रस - शृंगार, छन्द - गेय, भाषा - खड़ी बोली, अलंकार - रूपक, उपमा, विभावना, काव्यगुण - माधुर्य, शब्दशक्ति - अभिधा।

(3)
कहाँ गया धनपति कुबेर वह
कहाँ गई उसकी वह अलका
नहीं ठिकाना कालिदास के
व्योम प्रवाही गंगाजल का,
ढूँढा बहुत परंतु लगा क्या
मेघदूत का पता कहीं पर,
कौन बताए वह छायामय
बरस पड़ा होगा न यहीं पर,
जाने दो, वह कवि-कल्पित था,
मैंने तो भीषण जाडों में
नभ - चुंबी कैलाश शीर्ष पर,
महामेघ को झंझानिल से
गरज - गरज भिड़ते देखा है,
बादल को घिरते देखा है।

सन्दर्भ - पूर्बवत्।

व्याख्या - कालिदास के मेघदूत से प्रभावित नागार्जुन धवल गिरि के शिखरों का दृश्य देखते- देखते उनका (कालिदास का) स्मरण करने लगते हैं। कवि कल्पना करता है कि मेघदूत में निरूपित अलकापुरी और उसका स्वामी कुबेर का निवास यहीं होना चाहिए पर उन्हें वहाँ न अलकापुरी दृष्टिगत हुई और न कुबेर ही। कवि पर्वत शिखर पर कालिदास की गंगाजल जैसी पावन अनुभूतियों का वहन करने वाले मेघदूतों को देखना चाहता है पर कालिदास की कल्पना के मेघदूत का पता क्या कोई बता सकता है? कवि कहता है वह छायामय यहीं कहीं बरस कर निश्शेष हो चुका होगा इसलिए उससे साक्षात्कार सम्भव नहीं है। (अर्थात् कवि की कल्पना ने मेघदूत का अस्तित्व रचा था)। कवि को वहाँ न अलकापुरी, न कुबेर और न ही संदेशवाही मेघ दिखाई दिए. इसके विपरीत उसने देखा कि भयंकर शीत में आकाश को चूमने वाले कैलाश शिखर पर घने काले बादल किस प्रकार तूफानी बर्फीली हवाओं से गर्जना करते हुए भिड़ते हैं, टकराते हैं।

विशेष - रस - श्रृंगार, छन्द - गेय, भाषा - खड़ी बोली, अलंकार - रूपक, उपमा, काव्यगुण - माधुर्य, शब्दशक्ति - अभिधा।
(1) कवि पहले कोमल अनुभूतियों का चित्रण करता है किन्तु अन्तिम भाग में भीषण जाड़ा, नभचुंबी कैलाश-शीर्ष, झंझानिल गर्जन आदि का प्रयोग करके परुष-भाव को व्यक्त किया। शब्दावली भावों के नितान्त अनुकूल है।
(2) कालिदास को नागार्जुन ने प्रस्तुत कविता में केवल प्रसंगवश नहीं याद किया अपितु वे कालिदास के बड़े प्रशंसक भी थे और प्रभावित भी। कालिदास पर तो उन्होंने एक पूरी कविता ही लिख डाली -
"अमल धवल के गिरि शिखरों पर
प्रियवर, तुम कब तक सोये थे
रोया यक्ष कि तुम रोये थे
कालिदास, सच-सच बतलाना"
(3) वस्तुपरक और प्रामाणिक अनुभव पर बल दिया है।

(4)

अमल धवल गिरि के शिखरों पर,
बादल को घिरते देखा है।
छोटे-छोटे मोती जैसे
उसके शीतल तुहिन कणों को,
मानसरोवर के उन स्वर्णिम
कमलों पर गिरते देखा है,
बादल को घिरते देखा है।

सन्दर्भ - प्रस्तुत पद्यांश सुप्रसिद्ध प्रगतिवादी कवि स्वनामधन्य श्री नागार्जुन द्वारा रचित उनकी अत्यन्त महत्वपूर्ण कविता 'बादल को घिरते देखा है' से अवतरित है।

प्रसंग - इस अवतरण में कवि ने तिब्बत प्रवास के क्रम में हिमालय पर्वत के अनुपम सौन्दर्य को जिस रूप में देखा, उसे इस कविता में उसी निर्मल निश्छल रूप में चित्रित किया है।

व्याख्या - कवि कहता है कि उसने उज्जवल, स्वच्छ व निर्मल हिमालय पर्वत की चोटियों पर उमड़ते-घुमड़ते बादलों को देखा है। हिमालय पर्वत की चोटियाँ बर्फ से ढकी हुई थीं और सफेद, स्वच्छ पर्वत की चोटियों पर बादल घिर रहे थे। उनके छोटे-छोटे शीतल ओस कण जो साक्षात् मोतियों के समान थे, उन्हें मानसरोवर के सुनहले कमलों पर गिरते हुए निहारा है।

काव्य-सौन्दर्य- (i) प्रकृति के नैसर्गिक सौन्दर्य का यथार्थपरक आलम्बन रूप में चित्रण हुआ है।
(ii) भाषा सजीव, सरल एवं सुबोध खड़ी बोली है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारतीय ज्ञान परम्परा और हिन्दी साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा में शुक्लोत्तर इतिहासकारों का योगदान बताइए।
  3. प्रश्न- प्राचीन आर्य भाषा का परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
  4. प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
  5. प्रश्न- आधुनिक आर्य भाषा का परिचय देते हुए उनकी विशेषताएँ बताइए।
  6. प्रश्न- हिन्दी पूर्व की भाषाओं में संरक्षित साहित्य परम्परा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  7. प्रश्न- वैदिक भाषा की ध्वन्यात्मक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- हिन्दी साहित्य का इतिहास काल विभाजन, सीमा निर्धारण और नामकरण की व्याख्या कीजिए।
  9. प्रश्न- आचार्य शुक्ल जी के हिन्दी साहित्य के इतिहास के काल विभाजन का आधार कहाँ तक युक्तिसंगत है? तर्क सहित बताइये।
  10. प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- आदिकाल के साहित्यिक सामग्री का सर्वेक्षण करते हुए इस काल की सीमा निर्धारण एवं नामकरण सम्बन्धी समस्याओं का समाधान कीजिए।
  12. प्रश्न- हिन्दी साहित्य में सिद्ध एवं नाथ प्रवृत्तियों पूर्वापरिक्रम से तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  13. प्रश्न- नाथ सम्प्रदाय के विकास एवं उसकी साहित्यिक देन पर एक निबन्ध लिखिए।
  14. प्रश्न- जैन साहित्य के विकास एवं हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उसकी देन पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
  15. प्रश्न- सिद्ध साहित्य पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- आदिकालीन साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  17. प्रश्न- हिन्दी साहित्य में भक्ति के उद्भव एवं विकास के कारणों एवं परिस्थितियों का विश्लेषण कीजिए।
  18. प्रश्न- भक्तिकाल की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
  19. प्रश्न- कृष्ण काव्य परम्परा के प्रमुख हस्ताक्षरों का अवदान पर एक लेख लिखिए।
  20. प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  21. प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
  24. प्रश्न- भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
  25. प्रश्न- उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल ) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, काल सीमा और नामकरण, दरबारी संस्कृति और लक्षण ग्रन्थों की परम्परा, रीति-कालीन साहित्य की विभिन्न धारायें, ( रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त) प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ, रचनाकार और रचनाएँ रीति-कालीन गद्य साहित्य की व्याख्या कीजिए।
  26. प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य प्रवृत्तियों का परिचय दीजिए।
  27. प्रश्न- हिन्दी के रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
  28. प्रश्न- बिहारी रीतिसिद्ध क्यों कहे जाते हैं? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
  29. प्रश्न- रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा जाता है?
  30. प्रश्न- आधुनिक काल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
  33. प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
  35. प्रश्न- भारतेन्दु युग के गद्य की विशेषताएँ निरूपित कीजिए।
  36. प्रश्न- द्विवेदी युग प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
  37. प्रश्न- द्विवेदी युगीन कविता के चार प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये। उत्तर- द्विवेदी युगीन कविता की चार प्रमुख प्रवृत्तियां निम्नलिखित हैं-
  38. प्रश्न- छायावादी काव्य के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- छायावाद के दो कवियों का परिचय दीजिए।
  40. प्रश्न- छायावादी कविता की पृष्ठभूमि का परिचय दीजिए।
  41. प्रश्न- उत्तर छायावादी काव्य की विविध प्रवृत्तियाँ बताइये। प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, नवगीत, समकालीन कविता, प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- प्रयोगवादी काव्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
  43. प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
  44. प्रश्न- हिन्दी की नई कविता के स्वरूप की व्याख्या करते हुए उसकी प्रमुख प्रवृत्तिगत विशेषताओं का प्रकाशन कीजिए।
  45. प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- गीत साहित्य विधा का परिचय देते हुए हिन्दी में गीतों की साहित्यिक परम्परा का उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- गीत विधा की विशेषताएँ बताते हुए साहित्य में प्रचलित गीतों वर्गीकरण कीजिए।
  48. प्रश्न- भक्तिकाल में गीत विधा के स्वरूप पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  49. अध्याय - 13 विद्यापति (व्याख्या भाग)
  50. प्रश्न- विद्यापति पदावली में चित्रित संयोग एवं वियोग चित्रण की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  51. प्रश्न- विद्यापति की पदावली के काव्य सौष्ठव का विवेचन कीजिए।
  52. प्रश्न- विद्यापति की सामाजिक चेतना पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  53. प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
  54. प्रश्न- विद्यापति की भाषा योजना पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
  55. प्रश्न- विद्यापति के बिम्ब-विधान की विलक्षणता का विवेचना कीजिए।
  56. अध्याय - 14 गोरखनाथ (व्याख्या भाग)
  57. प्रश्न- गोरखनाथ का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
  58. प्रश्न- गोरखनाथ की रचनाओं के आधार पर उनके हठयोग का विवेचन कीजिए।
  59. अध्याय - 15 अमीर खुसरो (व्याख्या भाग )
  60. प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  63. प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
  64. प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
  65. अध्याय - 16 सूरदास (व्याख्या भाग)
  66. प्रश्न- सूरदास के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- "सूर का भ्रमरगीत काव्य शृंगार की प्रेरणा से लिखा गया है या भक्ति की प्रेरणा से" तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
  68. प्रश्न- सूरदास के श्रृंगार रस पर प्रकाश डालिए?
  69. प्रश्न- सूरसागर का वात्सल्य रस हिन्दी साहित्य में बेजोड़ है। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- पुष्टिमार्ग के स्वरूप को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए?
  71. प्रश्न- हिन्दी की भ्रमरगीत परम्परा में सूर का स्थान निर्धारित कीजिए।
  72. अध्याय - 17 गोस्वामी तुलसीदास (व्याख्या भाग)
  73. प्रश्न- तुलसीदास का जीवन परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- तुलसी की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- अयोध्याकांड के आधार पर तुलसी की सामाजिक भावना के सम्बन्ध में अपने समीक्षात्मक विचार प्रकट कीजिए।
  76. प्रश्न- "अयोध्याकाण्ड में कवि ने व्यावहारिक रूप से दार्शनिक सिद्धान्तों का निरूपण किया है, इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  77. प्रश्न- अयोध्याकाण्ड के आधार पर तुलसी के भावपक्ष और कलापक्ष पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- 'तुलसी समन्वयवादी कवि थे। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- तुलसीदास की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- राम का चरित्र ही तुलसी को लोकनायक बनाता है, क्यों?
  81. प्रश्न- 'अयोध्याकाण्ड' के वस्तु-विधान पर प्रकाश डालिए।
  82. अध्याय - 18 कबीरदास (व्याख्या भाग)
  83. प्रश्न- कबीर का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  84. प्रश्न- कबीर के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- कबीर के काव्य में सामाजिक समरसता की समीक्षा कीजिए।
  86. प्रश्न- कबीर के समाज सुधारक रूप की व्याख्या कीजिए।
  87. प्रश्न- कबीर की कविता में व्यक्त मानवीय संवेदनाओं पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- कबीर के व्यक्तित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  89. अध्याय - 19 मलिक मोहम्मद जायसी (व्याख्या भाग)
  90. प्रश्न- मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- जायसी के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  92. प्रश्न- जायसी के सौन्दर्य चित्रण पर प्रकाश डालिए।
  93. प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  94. अध्याय - 20 केशवदास (व्याख्या भाग)
  95. प्रश्न- केशव को हृदयहीन कवि क्यों कहा जाता है? सप्रभाव समझाइए।
  96. प्रश्न- 'केशव के संवाद-सौष्ठव हिन्दी साहित्य की अनुपम निधि हैं। सिद्ध कीजिए।
  97. प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षेप में जीवन-परिचय दीजिए।
  98. प्रश्न- केशवदास के कृतित्व पर टिप्पणी कीजिए।
  99. अध्याय - 21 बिहारीलाल (व्याख्या भाग)
  100. प्रश्न- बिहारी की नायिकाओं के रूप-सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- बिहारी के काव्य की भाव एवं कला पक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  102. प्रश्न- बिहारी की बहुज्ञता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- बिहारी ने किस आधार पर अपनी कृति का नाम 'सतसई' रखा है?
  104. प्रश्न- बिहारी रीतिकाल की किस काव्य प्रवृत्ति के कवि हैं? उस प्रवृत्ति का परिचय दीजिए।
  105. अध्याय - 22 घनानंद (व्याख्या भाग)
  106. प्रश्न- घनानन्द का विरह वर्णन अनुभूतिपूर्ण हृदय की अभिव्यक्ति है।' सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
  107. प्रश्न- घनानन्द के वियोग वर्णन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  108. प्रश्न- घनानन्द का जीवन परिचय संक्षेप में दीजिए।
  109. प्रश्न- घनानन्द के शृंगार वर्णन की व्याख्या कीजिए।
  110. प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
  111. अध्याय - 23 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
  112. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
  113. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  114. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
  115. प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए। उत्तर - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की कलापक्षीय कला विशेषताएँ निम्न हैं-
  116. अध्याय - 24 जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग )
  117. प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।"
  118. प्रश्न- जयशंकर प्रसाद सांस्कृतिक बोध के अद्वितीय कवि हैं। कामायनी के संदर्भ में उक्त कथन पर प्रकाश डालिए।
  119. अध्याय - 25 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (व्याख्या भाग )
  120. प्रश्न- 'निराला' छायावाद के प्रमुख कवि हैं। स्थापित कीजिए।
  121. प्रश्न- निराला ने छन्दों के क्षेत्र में नवीन प्रयोग करके भविष्य की कविता की प्रस्तावना लिख दी थी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  122. अध्याय - 26 सुमित्रानन्दन पन्त (व्याख्या भाग)
  123. प्रश्न- पंत प्रकृति के सुकुमार कवि हैं। व्याख्या कीजिए।
  124. प्रश्न- 'पन्त' और 'प्रसाद' के प्रकृति वर्णन की विशेषताओं की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए?
  125. प्रश्न- प्रगतिवाद और पन्त का काव्य पर अपने गम्भीर विचार 200 शब्दों में लिखिए।
  126. प्रश्न- पंत के गीतों में रागात्मकता अधिक है। अपनी सहमति स्पष्ट कीजिए।
  127. प्रश्न- पन्त के प्रकृति-वर्णन के कल्पना का अधिक्य हो इस उक्ति पर अपने विचार लिखिए।
  128. अध्याय - 27 महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
  129. प्रश्न- महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
  130. प्रश्न- "महादेवी जी आधुनिक युग की कवियत्री हैं।' इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए।
  131. प्रश्न- महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय संक्षेप में दीजिए।
  132. प्रश्न- महादेवी जी को आधुनिक मीरा क्यों कहा जाता है?
  133. प्रश्न- महादेवी वर्मा की रहस्य साधना पर विचार कीजिए।
  134. अध्याय - 28 सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (व्याख्या भाग)
  135. प्रश्न- 'अज्ञेय' की कविता में भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों समृद्ध हैं। समीक्षा कीजिए।
  136. प्रश्न- 'अज्ञेय नयी कविता के प्रमुख कवि हैं' स्थापित कीजिए।
  137. प्रश्न- साठोत्तरी कविता में अज्ञेय का स्थान निर्धारित कीजिए।
  138. अध्याय - 29 गजानन माधव मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
  139. प्रश्न- मुक्तिबोध की कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  140. प्रश्न- मुक्तिबोध मनुष्य के विक्षोभ और विद्रोह के कवि हैं। इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
  141. अध्याय - 30 नागार्जुन (व्याख्या भाग)
  142. प्रश्न- नागार्जुन की काव्य प्रवृत्तियों का विश्लेषण कीजिए।
  143. प्रश्न- नागार्जुन के काव्य के सामाजिक यथार्थ के चित्रण पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  144. प्रश्न- अकाल और उसके बाद कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
  145. अध्याय - 31 सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' (व्याख्या भाग )
  146. प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  147. प्रश्न- 'धूमिल की किन्हीं दो कविताओं के संदर्भ में टिप्पणी लिखिए।
  148. प्रश्न- सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' के संघर्षपूर्ण साहित्यिक व्यक्तित्व की विवेचना कीजिए।
  149. प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
  150. प्रश्न- धूमिल की रचनाओं के नाम बताइये।
  151. अध्याय - 32 भवानी प्रसाद मिश्र (व्याख्या भाग)
  152. प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  153. प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'गीत फरोश' में निहित व्यंग्य पर प्रकाश डालिए।
  154. अध्याय - 33 गोपालदास नीरज (व्याख्या भाग)
  155. प्रश्न- कवि गोपालदास 'नीरज' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  156. प्रश्न- 'तिमिर का छोर' का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
  157. प्रश्न- 'मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ' कविता की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।

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